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Friday, August 31, 2012

The World news: आतंकवादी बना दामाद

The World news: आतंकवादी बना दामाद: मुंबई यानि हिंदुस्तान की धड़कन, सपनो का शहर, जहा लोग छोटी सी जेब में बड़े बड़े सपने लेकर आते है। इसी सपनो की नगरी में 26 नवंबर 2008 को घटी ...

आतंकवादी बना दामाद

मुंबई यानि हिंदुस्तान की धड़कन, सपनो का शहर, जहा लोग छोटी सी जेब में बड़े बड़े सपने लेकर आते है। इसी सपनो की नगरी में 26 नवंबर 2008 को घटी एक ऐसी घटना जिसने पुरे भारत को हिलाकर रख दिया। पाकिस्तान से आये 10 आतंकवादियों ने मुंबई के विती स्टेशन से लेकर ऑबरोय होटल तक दहशत मचा दी।जिसमे डेढ़ सौ  में अधिक लोगो की मौत हो गयी। चार दिन चले इस खुनी मंजर में नौ आतंकी मारे गये और एक जिन्दा पकड़ा गया। चार साल चली इस क़ानूनी लड़ाई  में आतंकवादी कसाब कभी खुद को नाबालिग बताता तो कभी खुद अपने ही बयान से मुकर जाता। आखिरकार लम्बी चली इस क़ानूनी लड़ाई के बाद कसब को फांसी  की सजा सुना दी गयी। हिन्दुस्तान की जेल में दामाद की तरह रह रहे इस आतंकवादी के ऊपर अब तक  26 करोड़ रुपए खर्च हो गये है और न जाने कितने खर्च होने बाकि है यहाँ  एक आतंकवादी को इतने दिनों तक जिन्दा रखा गया यदि कोई और देश होता तो लादेन जैसे आतंकी की तरह उसी के घर में घुसकर उसको मारता । जहा न कोई केस  हुआ और न ही सबूत की जरुरत पड़ी सीधे फैसला सुनाया गया ।जैसी हिम्मत अमेरिका ने दिखाई वैसी  शायद ही कोई देश दिखा पाए। काश हमारे देश का संविधान इतना लचीला न होता। ये खातिरदारी  नहीं तो और क्या है सुप्रीम कोर्ट ने  अब तक 309 कैदियों को मौत की सजा सुना दी है लेकिन सजा मिली सिर्फ 51 को ही सजा दी गयी बाकि आपराधियो की क्यों खातिरदारी की जा रही है ।  कसाब  जैसे आतंकवादी के उपर करोडो खर्च करने की क्या जरुरत है? जिसने कई घरो को उजाड़ दिया न जाने कितनी माँ से उनके बेटे छीन  लिए उसके उपर इतना रुपया बर्बाद करना क्या सही है? एक आतंकी जो दामाद की तरह मेहमाननवाजी का आनन्द उठा रहा है उसे लम्बे समय तक हिन्दुस्तानी भूल नहीं पाएंगे। कसाब  एक ऐसा नाम जो कभी भी कोई माँ अपने बेटे नहीं रखना चाहेगी। काश हमारे देश का संविधान इतना लचीला न होता ? काश ख़ुफ़िया एजेंसिया अपना काम ठीक ढंग से कर पाती  तो 26/11 को  एक काली  तारीख के रूप में याद न किया जाता।