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Saturday, March 31, 2018

कुछ उम्मीदे अधूरी सी

पार्ट- २
कुछ उम्मीदे अधूरी सी 

लड़की बड़ी हुई स्कूल से निकलकर कॉलेज में गयी | परिवार की स्थिति अभी भी वैसी | अब माँ के साथ लड़की की बहन  भी काम पर जाने लगी | लड़की की बहन रात में पढ़ती और दिन में माँ के साथ काम पर जाती | लड़की के बाप की नौकरी लगी, दूसरे शहर में, महीनो महीनो घर नहीं आता | लड़की की माँ और बड़ी बहन काम पर जाते और लड़की घर पे अपने भाई बहन को संभालती माँ के आने का इंतज़ार करती की माँ आएगी और खाने को कुछ देगी | लड़की कॉलेज जाती क्लासरूम में जाती और वहा  से सीधी घर | लड़की के कॉलेज में कई दोस्त बने सब अच्छे परिवार से, उसके दोस्त साइकिल पे आते और लड़की पैदल जाती क्यूंकि उसके पास पैसे नहीं होते मांगी हुई ड्रेस, मांगे हुए जूते,जब कभी फट जाते तो मोची के पास जाने के लिए भी पैसे नहीं होते तो वो खुद ही मोची बन जाती, अपने जूते अपने आप सिलती | किताबे खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे तो कॉलेज की लाइब्रेरी में बैठकर नोट्स बनाती | कॉलेज में हर साल एक दिन ऐसा आता जो उस लड़की के चेहरे पे एक बड़ी सी मुस्कान ले आता वो दिन होता था वजीफे वाला दिन | सामान्य जाती की होने की वजह से कभी सरकार से कोई लाभ नहीं मिला था लेकिन कॉलेज में उसे वजीफा मिलना शुरू हुआ जिसे आज स्कॉलरशिप कहते है | ३००० सालाना वजीफा मिलता जिसमे १५०० रुपए वो अपनी आने वाले साल की फीस के लिए रखती और १५०० अपनी माँ को देती  | लड़की की माँ और बड़ी बहन पैसा कमाने के लिए नौकरी करते है और बच्चे घर में अकेले रहते है ये देखकर समाज और घर के बड़े चुप नहीं रहे, रोज उसकी माँ को ताने देते झगडे करते | ये देखकर लड़की ने सोचा मैं  पढ़ लिखकर पुलिस बनूँगी और सब का मुँह बंद करुँगी।..........  To be continued 

Friday, March 30, 2018

The World news: कुछ उम्मीदे अधूरी सी

The World news: कुछ उम्मीदे अधूरी सी: कुछ उम्मीदे अधूरी सी  कहानी की शुरआत हर कहानी की तरह एक लड़की से होती है. लड़की मध्यमवर्गीय परिवार से, उस परिवार में कमाने वाले कम और खान...

कुछ उम्मीदे अधूरी सी

कुछ उम्मीदे अधूरी सी 
कहानी की शुरआत हर कहानी की तरह एक लड़की से होती है. लड़की मध्यमवर्गीय परिवार से, उस परिवार में कमाने वाले कम और खाने वाले ज्यादा, कहते है लड़को की अपेक्षा लड़कियों में जूनून और लगन ज्यादा होती है उस लड़की में भी थी बचपन से ही कुछ कर गुजरने की चाह, लेकिन कहते है ना सिर्फ चाह लेने से आसमान नहीं मिलता, ऐसा ही उसके साथ हुआ परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से उसकी बेसिक शिक्षा सरकारी स्कूल में हुई, सरकारी स्कूलों की हालत तो ऐसी थी जैसे बिन माँ बाप के बच्चे - अनाथ |  परिवार सरकारी स्कूल की फीस के लिए भी पैसे बड़ी मुश्किल से दे पाता मांगी हुई किताबे पुराने उतरे हुए कपडे हालत ये थे की कोई त्यौहार आता था तो उस परिवार को एक महीने पहले सोचना पड़ता था की त्यौहार कैसे मनाएंगे पैसे कहा से आएंगे एक वक्त ऐसा आया की लड़की के बाप का काम बंद हो गया अब सारी जिम्मेदारी लड़की की माँ पे आ गयी बाप पुरे दिन घर पे रहता और माँ नौकरी ढूंढ़ने जाती उसे नौकरी मिली १५०० रुपए महीने की उस समय ये १५०० रुपए भी उस परिवार के लिए काफी थे जिनके घर में एक टाइम रोटी बनती थी घर से आधा घंटा पहले निकलती ५ रुपए बस के बचाती पैदल आती पैदल जाती इतवार की छुट्टी होती तो अपने रिश्तेदार के यहाँ चली जाती साथ में अपनी बेटी को ले जाती ये सोचकर की उसके रिश्तेदार उसकी मदद कर देंगे वहा  लड़की और उसकी माँ को एक कमरे में बैठा दिया जाता | जहा उन्हें पुराने कपडे दिए जाते और मदद के नाम पर  कुछ पैसे क्या ज़िन्दगी थी उस औरत की जो पढ़ी लिखी होने के बाद भी ऐसी जिंदगी जीने पे मजबूर थी. वो लड़की जिसे करना तो बहुत कुछ था लेकिन किसके सहारे कैसे उसे नहीं पता था. कहते है पहली पाठशाला लड़की का अपना घर होता है लेकिन यहाँ लड़की की ऊँगली पकड़कर रास्ता दिखने वाला कोई नहीं था क्यूंकि उसका परिवार तो अपनी एक वक्त की रोटी कमाने में लगा हुआ था....     आगे की कहानी जल्द 

Saturday, February 17, 2018

The World news: दूसरे माल्या बने नीरव मोदी, कौन है ये नीरव मोदी ?

The World news: दूसरे माल्या बने नीरव मोदी, कौन है ये नीरव मोदी ?: नीरव मोदी सिर्फ एक नाम नहीं ब्रांड है 2010 में इन्होने अपने ही नाम , नीरव मोदी से डायमंड्स का कारोबार शुरू किया | नीरव का परिवार मूल...

दूसरे माल्या बने नीरव मोदी, कौन है ये नीरव मोदी ?



नीरव मोदी सिर्फ एक नाम नहीं ब्रांड है 2010 में इन्होने अपने ही नाम , नीरव मोदी से डायमंड्स का कारोबार शुरू किया | नीरव का परिवार मूलरूप से गुजरात का  है | हालांकि बाद में नीरव मोदी का परिवार एंटवर्प में चला गया | 48 वर्षीय नीरव बेल्जियम के एंटवर्प में पले बढ़े | वह फाइनेंस पढ़ाई के लिए अमेरिका के व्‍हार्टन इंस्‍टीट्यूट गए। पढ़ाई में फेल होने के बाद उनकी फैमिली ने उन्हें मुंबई भेज दिया | यहाँ उन्होंने अपने चाचा मेहुल चौकसी से हीरे के कारोबार की बारीकियां सीखी| नीरव का परिवार हीरे का कारोबार करता है नीरव ने परिवार के कारोबार को सँभालने के बजाए अपना खुद का कारोबार शुरू किया | उन्‍होंने अपनी कंपनी फायरस्‍टार डायमंड शुरू की। नीरव ने अमेरिका और यूरोप में अपने कारोबार से अलग पहचान बनायीं|  वह देश के सबसे रईस व्‍यक्ति मुकेश अंबानी के रिश्‍तेदार भी हैं। दरअसल नीरव मोदी के छोटे भाई नीशाल मोदी की शादी मुकेश अंबानी की भांजी इशिता सल्‍गांवकर से हुई है।

इतना बड़ा कारोबार इतनी संपत्ति अकेले अपने दम पर बनाना कैसे संभव हुआ ? इसकी  वजह है नीरव का कारोबार करने का तरीका, उन्होंने ग्राहकों की पसंद के अनुसार हीरे को आकार देना शुरू किया | ग्राहकों की पसंद के अनुसार जेवरात बनाने शुरू किये | दूसरी वजह सूरत से सस्ते दामों में हीरे की कटिंग कराते और अमेरिका यूरोप में महंगे दामों में बेचते | कम लागत में दुगुना फायदा | 

लालच बुरी बला है ये सुना तो कई बार होगा | अब शायद इसका एहसास भी नीरव को हो रहा होगा | 

नीरव मोदी का कारोबार,संपत्ति 

फोर्ब्स की भारतीय धनकुबेरों की 2017 की सूची में नीरव मोदी 84वें नंबर पर मौजूद हैं. नीरव की दो कंपनियां हैं. पहली फायरस्टार डायमंड और दूसरा ब्रांड नीरव मोदी, दोनों कम्पनियो से उनकी कुल संपत्ति 11237 करोड़ बताई गई है. 2010 में नीरव की कंपनी चर्चा में आयी जब फायर स्टार डायमंड का गोलकुंडा नेकलेस 16.29 करोड़ रुपये में बिका| भारत में दिल्ली और मुंबई में नीरव के स्टोर हैं.इसके अलावा लंदन, न्यूयॉर्क, लास वेगास, हवाई, सिंगापुर, बीजिंग जैसे 16 शहरों में उनके स्टोर हैं. उनकी कंपनी की डिज़ाइन की हुई ज्वेलरी में प्रियंका चोपड़ा से लेकर जैकलीन फर्नांडिस, श्रृद्धा कपूर, सोनम कपूर, निम्रत कौर, लीज़ा हेडन और काजोल यह सभी बॉलीवुड स्टार दिख चुके हैं नीरव मोदी हाई प्रोफाइल सोसायटी का जाना माना नाम है. बॉलीवुड के साथ-साथ हॉलीवुड में भी नीरव मोदी का बहुत अच्छा कारोबार या कहे की नाम है | हॉलीवुड ग्राहकों में पहला नाम अभिनेत्री केट विंसलेट (फिल्म टाइटैनिक) का हैं। नीरव ने 2015 में न्यूयार्क में अपना शोरूम खोला और उसका उद्घाटन करने पहुची थी ब्रिटिश अभिनेत्री और फिल्म प्रोड्यूसर नाओमी वाट्स| 

नीरव मोदी की धोखाधड़ी, कैसे बने दूसरे माल्या 

नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक को 11,300 करोड़ रुपये की चपत लगायी |  अब प्रश्न ये आता है कैसे? वैसे ही जैसे कई साल पहले केतन पारिख और हर्षद मेहता लगा चुके है | चोर को देखकर चोर ने चोरी सीखी ये कहा जा सकता है | नीरव ने दो बैंकों के बीच होने वाले ऑफलाइन ट्रांजैक्शन के नियमों का फायदा उठाते हुए बिजनेस पेमेंट करने के लिए बैंक क्रेडिट का इस्तेमाल किया है इस धोखाधड़ी में बैंक के कुछ अधिकारियो ने भी उसका साथ दिया है | ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में काफी नियम है जिसे तोडना नीरव के बस में नहीं था इसलिए उसने ऑफलाइन ट्रांजैक्शन के जरिए बैंक के कुछ अधिकारियो के साथ मिलकर इतना बड़ा घोटाला किया | ऑफलाइन ट्रांजैक्शन वह होती है जहा किसी बिजनेस डीलिंग में बैंक मैनेजर की हामी पर, बैंक के पैसो से बिजनेस पेमेंट कर दी जाये | यहाँ नीरव के बिजनेस की पेमेंट की गयी | नीरव ने पेमेंट करने में लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग, पे ऑर्डर, बायर क्रेडिट और लेटर ऑफ कंफर्ट जैसे बैंक इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल किया | इन लेटर का इस्तेमाल दो बैंकों के बीच किसी ट्रांजैक्शन को करने के लिए किया जाता है | ये लेटर अपने ग्राहकों की ट्रांजैक्शन की जिम्मेदारी लेता है| जैसे ऑनलाइन में क्रेडिट कार्ड होता है | इस लेटर के जरिये ग्राहकों को 90 से 180 दिनों का कर्ज आसानी से मिल जाता है. हालांकि यह सुविधा हर ग्राहकों को नहीं दी जाती और जिन्हे दी जाती है उनसे भी मार्जिन मनी मूल शाखा में रखने की शर्त राखी जाती है ताकि क्रेडिट रिस्क कम हो सके | लेकिन यहाँ बैंक के अधिकारियो की साठगाठ और लालच के चलते मार्जिन मनी जमा नहीं कराई गयी | नीरव ने इसी का फायदा उठा के पंजाब नेशनल बैंक को 11,300 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया | 

फ़िलहाल इस घोटाले की जांच जारी है हर दिन एक नया नाम सामने आ रहा है घोटाला बड़ा है बहुत सारे लोग इसमें शामिल है |