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Friday, June 14, 2019

कोई बताये किस घर सुरक्षित है बेटियां ?

औरत जिसके कई रूप है बेटी, बहु, माँ सबसे बड़ी बात, रोज जिसके अस्तित्व को मिटाने की, जिसकी आत्मा को रोंदने की पूरी कोशिश होती है सिर्फ वही एक है जिसे नयी ज़िन्दगी को जन्म देने की, नया अस्तित्व बनाने की एक अद्भुत शक्ति मिली हूई है फिर भी क्यों मनुष्य घिनौना अपराध करने से पहले भूल जाता है की उसे जन्म देने वाली एक औरत ही है, जो कभी किसी की बेटी रही होगी, किसी की बहु रही होगी,फिर उसकी माँ बनी  होगी ! जिसके साथ वो गलत करने जा रहा है वो भी किसी की बेटी, माँ या बहु है क्यों वो भूल जाता है की उसके घर में भी माँ या बहन तो होंगे ! क्यों वो अपनी आँखों का नजरिया अपने घर की बहु बेटियों के लिए अलग और अन्य बहु बेटियों के लिए अलग अलग रखता है. कई बार लोगो को कहते सुना की लड़कियों को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए ! छोटे कपडे नहीं पहनने चाहिए, अकेले मार्किट नहीं जाना चाहिए, देर रात तक बाहर नहीं रहना चाहिए, अकेले मूवी देखने नहीं जाना चाहिए ? क्यों ?

क्यूंकि कही न ही परिवार वालो को भी पता है की बाहर कुछ ऐसे राक्षस घूम रहे है जो एक मोके की तलाश में होते है बाहर के राक्षसों से तो सुरक्षित कर लेते है परिवार वाले, परन्तु जो घर में राक्षस होते है उनसे क्यों नहीं बचा पाते ! क्यों अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है बेटिया ? आज २/३ साल की बच्ची भी सुरक्षित नहीं है ?  ना वो छोटे कपडे पहनती है, ना देर रात तक अकेले घूमती है फिर क्यों होता है उनका रेप, क्या है उनका दोष, क्यों दी जाती है उन्हें सज़ा, वो लड़की है क्या इसलिए मिलती है सज़ा, नहीं लड़की होना पाप नहीं, पाप है सोच को गन्दा रखना, अपने घर की बहु बेटियों की इज्जत ढकना, उनकी हिफाजत करना और दुसरो की बहु बेटियों पे निगाह रखना, उन्हें गन्दी नज़र से देखना !

आज के माता पिता  बेटो को सिखाते है की लड़के रोते नहीं है तू लड़की है जो रो रहा है....... उसकी जगह उन्हें सिखाना चाहिए। लड़के रुलाते नहीं है अगर ये सीख बेटो को दी जाये तो ना सिर्फ रेप बल्कि घेरलू हिंसा की वजह से आत्महत्या करने वाली महिलाये भी सुरक्षित रह पाएंगी ! कहते है बच्चे का पहला स्कूल उसका अपना घर होता है और माता पिता वहा के अध्यापक, तो अच्छी सीख की शुरुआत घर से ही करनी चाहिए ! अपनी माँ,बहन को इज्जत देने के साथ साथ बाकी लड़कियों को भी इज्जत सम्मान देने की सीख देने की शुरुआत घर से ही होनी चाहिए!

शुरुआत से ही बेटो की लाइफ पर, उनके दोस्तों के बारे में, उनके आस पास के वातावरण के बारे में माता पिता को पूरी जानकारी रखनी चाहिए ! अक्सर गलत संगत में पड़कर ही इंसान गलत काम करता है अक्सर ऐसा होता है कि जब तक माँ बाप को बच्चे की संगत का पता चलता है वो पहले ही गलत काम या गुनाह कर चूका होता है, वो कहते है ना सावधानी हटी दुर्घटना घाटी !

हमारे घर में राम जन्मा है या रावण ये उसकी पैदाइश से नहीं बल्कि उसके कर्मो से पता चलता है और कर्म बनते है अच्छी शिक्षा से और अच्छी शिक्षा मिलती है अच्छे वातावरण से,अच्छी परवरिश से !
 "जिन्होंने माँ सीता को छुआ भी नहीं उस रावण को हम हर साल जलाते है इन रावणो का क्या करे जो मासूम बच्चियों पर रहम नहीं खाते है अपने घर में माँ बहन बेटियां होते हुए भी दुसरो की बेटियों को देखकर जल्लाद बन जाते है" 

"किसी के लिए कली सी, किसी के लिए फूल सी होती है बेटिया 
 माँ के लिए गुड़िया तो बाप के लिए गुरुर होती है बेटिया 
 इनकी हिफाजत  करना है हमारी भी ज़िम्मेदारी 
 क्यूंकि हर घर की आन बान शान होती है बेटिया "

 




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